अमूनन पढाई छोड़ने के बाद आम आदमी का शिक्षा से कोई ताल्लुक नहीं रह जाता , आम आदमी इस बात को भूल जाता है कि उनकी असली संपत्ति उनका दिमाग है जहाँ चुनाव की बात आती है ( पोस्ट 77 और 78 देखें ) तो वो दिमाग की बजाय शरीर को प्राथमिकता देगा , शिक्षा की बजाय मनोरंजन को प्राथमिकता देगा .कोई अच्छा सेमिनार अटेंड करने की बजाय वो किसी थिएटर में मूवी देखेगा , अच्छे मोटिवेशनल ऑडियो सुनने की बजाय फ़िल्मी गाने सुनेगा , कोई बिज़नेस चैनल देखने की बजाय कोई एंटरटेनमेंट चैनल देखेगा , इसी तरह पढ़ने के मामले में वो वाहियात से जासूसी या सामाजिक नावेल या सड़कों पर मिलनेवाली तीसरे दर्जे की कोई मैगजीन पढ़ेगा ,अखबार में वो हत्या,बलात्कार,चोरी,डकैती जैसी ख़बरें पढ़ेगा बजाय कुछ गंभीर या अच्छा पढ़ने के .
एक आम भारतीय अपने दिमाग को किसी तरह की अच्छी तरह खुराक देने की बजाय शरीर को बेहतरीन से बेहतरीन देता है असल में उसे अपनी असली एकलौती संपत्ति की अहमियत ही पता नहीं होती और उसे ये भी पता नहीं होता कि अमीरी या गरीबी भगवान की दी हुई नहीं होती बल्कि ये व्यक्ति का खुद का चुनाव होता है जिसका दरवाज़ा "दिमाग" खोलता है .
तो अपनी कमाई में से 10 % शिक्षा खाते ( पोस्ट 114 देखें ) में डालिये और बच्चो की शिक्षा के साथ - साथ खुद को शिक्षित कीजिये , शिक्षा का महत्व समझिए , कोई अच्छी बुक खरीदिए कोई अच्छा सेमिनार अटेंड कीजिये ,अपने मतलब के विषय की कोई क्लास ज्वाइन कीजिये , कोई अच्छा ऑडियो या वीडियो खरीदिए , कोई मोटिवेशनल मूवी देख कर आइये . और ये ध्यान रखियेगा कि शिक्षा का उम्र से कोई ताल्लुक नहीं होता , जितना ज्यादा आप पढ़ेंगे ,देखेंगे उतने ही ज्यादा नए तरीके से सोचना और समझना सीखेंगे , कल तक आपने जो सीखा था वो पुराना हो गया है , सुचना क्रांति के युग में ( पोस्ट 71 देखें ) खुद को अपडेट जो नहीं रख पाते है वो या तो ख़त्म हो जाते है या पिछड़ जाते है .
- सुबोध
www.saralservices.com
( one sim all recharge , MLM )
मेरी पुरानी पोस्ट देखने के लिए कृपया इस लिंक को क्लिक करें
http://saralservices.blogspot.in/
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