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Thursday, July 31, 2014

90. सही या गलत -निर्णय आपका !


अमीर यु हीं अमीर नहीं होता

सुरक्षित करने को अपना आज
दांव पर लगा देते है अपना भविष्य
हाँ, यही करते है अधिकतर लोग....
बिना ये समझे कि
ख़ूबसूरत भविष्य की
जड़ में आज की
खाद होती है ....
-.
चूजे को
कर दिया जाता है हलाल
मुर्गी बनने से पहले .
और रोते है रोना
कि ज्यादा सफ़ेद क्यों है
पड़ोसी की शर्ट .
-
इतना व्यस्त होते है
रोने में
कोसने में
कि तलाशते नहीं
वजह ...वजह....वजह.
-
छोटे लक्ष्य
छोटी वास्तविकताएं
छोटे प्रयत्न
ज़ाहिर सी बात है
छोटी ही होगी
उपलब्धियाँ...
-
अमीरी के रास्ते
जाने वाली सोच की सड़क
शुरू होती है
सवालों से
क्योंकि
विस्तार
वास्तविकता का
काबिलियत का
शुरू होता है.
सवालों से .....
क्या
क्यों
कब
कैसे
कहाँ
लेकिन
गरीब देता है
आधे -अधूरे जवाब
नतीजा
आधी- अधूरी उपलब्धिया
और दोष नसीब को ?????
अमीर लेता है
जिम्मेदारी
नहीं बनाता
बहाने ......
छोटी-छोटी बातें
पैदा करती है बड़ा फर्क .......

सुबोध- १६ मई,२०१४
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Wednesday, July 30, 2014

89. सही या गलत -निर्णय आपका !




अमीर लोग उनके साथ उठते-बैठते है जो उनकी तरह विजेता होते है जबकि गरीब लोग उनके साथ जो उनकी तरह गरीब होते है या हारे हुए - ये अपने-अपने कम्फर्ट जोन का मामला है .
            गरीब लोग अमीरों के साथ,विजेताओं के साथ असहज महसूस करते  है ,गरीबों को  लगता है कि ये अमीर लोग मुझे अस्वीकार कर देंगे ,मैं इनकी श्रेणी का नहीं हूँ  सो अपने अहम की संतुष्टि के लिए वे अमीरों में दोष  तलाशते हैं  और कोई न कोई आलोचना की वजह ढूंढ़ ही लेते हैं . और किसी न किसी बहाने वहां  से हटकर  अपने जैसी समान मानसिकता वालों को तलाश कर उनमे मिक्स-अप हो जाते हैं .
         अमीरों की प्रतिक्रिया कुछ अलग रूप लेती है वो गरीबों को एक हारा हुआ वर्ग मानता है और उनके लिए उसके मन में दया का भाव रहता है  ,उपदेश का भाव रहता है - उच्च स्तर पर जाकर  सोचे तो ये भी दोष तलाशना और आलोचना करना ही हुआ -शब्दों और व्यवहार में चाशनी  भर है .वे भी किसी न किसी बहाने वहां से हटकर अपने जैसी मानसिकता वालों में जाकर बैठते है.
          कहावत है एक जैसे पंछी साथ-साथ रहते है . कुल मिलाकर अपने-अपने कम्फर्ट जोन का मामला है.

मोरल- आपका कम्फर्ट जोन ही आपका आर्थिक भविष्य तय करता है वो कम्फर्ट जोन ही है जो अमीर को ज्यादा अमीर और गरीब को ज्यादा गरीब बनाता है .
- सुबोध 
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Tuesday, July 29, 2014

88. सही या गलत -निर्णय आपका !

               बहुत से लोगों को ये समझ में ही नहीं आता कि गलतियां सीखने के लिए होती  है , वे गलतियों से बचने के लिए अनजान राहों पर चलना ही नामंज़ूर कर देते है.
            

       होना ये चाहिए कि आप पर्याप्त जानकारीकट्ठी करे और उसके आधार पर कार्य करें अगर आप सफल होते है तो आप ये सीखते है कि सही तरीके से सूचनाएं कहाँ से जुटाई जानी चाहिए और किस तरह से इकट्ठी की गई सूचनाओं का उपयोग करना चाहिए और अगर असफल होते है तो आप कई तरीके से बहुत कुछ सीखते है कि सुचना के श्रोत गलत थे ,कि समर्पण में कहाँ कमी थी , कि किस डिपार्टमेंट में किस तरह की कमी रह गई जिसका नतीजा असफलता रहा . हर डिपार्टमेंट की एक अलग खासियत होती है उस खासियत में कहाँ कमी रह गई कि नतीजा पूरे प्रोजेक्ट पर पड़ा और वक्त रहते मैनेजमेंट की निगाह में वो कमी क्यों नहीं आई ? इस तरह के बहुत से सवालों के माध्यम से आप बहुत कुछ सीखते है.
         अगर असफलता की कीमत आप पहले से ही निर्धारित कर लेते है तो जवाब मेँ आपको घातक परिणाम नहीं मिलेंगे ,प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले ही आप खुद से ये सवाल कर लेवे की अगर मेरा प्रोजेक्ट असफल हो गया तो अधिक से अधिक मेरा कितना नुकसान हो सकता है ? और मुझे अधिकतम कितना नुकसान होने के बाद  प्रोजेक्ट को बंद कर देना है . ये दो सबसे महत्वपूर्ण सवाल है जो हर नव -उद्यमी ( ENTREPRENEUR ) को कोई भी प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले खुद से पूछने चाहिए और सख्ती से इनका पालन करना चाहिए लेकिन चूँकि वे अपने विचारों को लेकर इतने ज्यादा पॉजिटिव होते है कि वे असफलता की सोचते ही नहीं . और विपरीत नतीजा मिलने पर वे नुकसान पर नुकसान सहे जाते है और प्रोजेक्ट " पैक-अप " करने की बजाय बर्बाद हो जाते है .

         अगर आप प्रोजेक्ट को लेकर पूरी तरह संतुष्टि चाहते है तो अपनी सूचनाओ को चेक करे, प्रोजेक्ट तैयार करे ,बैंक में लोन अप्लाई करें ,एंजेल इन्वेस्टर्स से मिले .
अगर आप बैंक के और एंजेल इन्वेस्टर्स के सवालों का समाधान कर पाते है उनसे लोन के लिए हाँ करवा पाते है ( आपने लोन लेना है या नहीं ये अलग मुद्दा है बैंक और एंजेल इन्वेस्टर से मिलने का अर्थ प्रोजेक्ट की खामियों को समझना और दूर करना भर है ) तो खुद से सवाल करें कि मैं इस प्रोजेक्ट पर कितना खोने को तैयार हूँ , आपका जो भी जवाब हो उतने पैसे का इंतेज़ाम करे और  प्रोजेक्ट शुरू कर दीजिये  . अगर आपकी, आपके बैंकर की, एंजेल इन्वेस्टर की  कैलकुलेशन सही है तो आप पैसा बनाएंगे नहीं तो मानसिक तौर पर नुकसान के लिए आप तैयार ही है ,लेकिन इस प्रोसेस में आप जो कुछ सीखेंगे उस से आप बहुत कुछ बना सकते है , जो गलतियों से बचने का प्रयास करने वाले नहीं बना पाएंगे.
- सुबोध 
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Monday, July 28, 2014

87. सही या गलत -निर्णय आपका !



आपके व्यक्तित्व मेँ लचीलापन होना चाहिए , दिमाग की खिड़कियां खुली रखिये ,नए विचारों की ताज़ा हवा आत्मसात करते रहिये कोई भी जो पुराने विचारों में जम जाता है हकीकत में वो जड़ हो जाता है और सुचना युग में जड़ होना खतरनाक है क्योंकि यहाँ जो कल मार्किट में चर्चित था आज नए के आगमन के साथ पुराना हो गया है और चार दिन बाद आउट ऑफ़ डेटेड हो जायेगा लिहाजा आज के टाइम में जिनमें लचीलापन नहीं है वे अपनी प्रगति के रास्ते में रुकावट भर है . यह बात विचारों के साथ -साथ व्यवहार पर भी लागु होती है . इतनी तेजी से परिवर्तन हो रहा है कि कल के आदर्श,कल की मान्यताएं,कल की संस्कृति कल की हो गई है नए -नए उपलब्ध संसाधनों ने आज के रहन -सहन की परिभाषा और आवश्यकताएं बदल दी है , इस युग की चाप के अनुसार अपने व्यवहार  में लचीलापन विकसित करें .
    अमीरों की सबसे बड़ी खासियत ये होती है कि वे विचारों में और व्यवहारिकता में  कहीं भी जड़ नहीं होते हमेशा नया जानना चाहते है,सुनना चाहते है और कोई भी ऐसा विचार और व्यवहार जो उनके तर्कों की कसौटी पर खरा उतरता है उसे स्वीकारने को तैयार रहते है ,वे अपने अनुभव से तो सीखते ही है दुसरे के अनुभव से भी सीखने को तैयार रहते है ,वे जानते है जड़ होना नए अवसरों से आँख मूंदना है और लचीलापन नए अवसरों का द्वार है .
-सुबोध
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Sunday, July 27, 2014

86. सही या गलत -निर्णय आपका !



आपके पास अच्छा विचार है जिस से आपको लगता है अच्छा पैसा बनाया जा सकता है ,समस्या पैसे की है . तलाश कीजिये पैसा कहाँ मिलता है ,आपको जो-जो ऑप्शन नज़र आये नोट करते जाए . अपने विचार को कागज पर उतारे. दिमाग में विचार होना अलग है कागज पर होना वो भी इस तरह कि आप जो एक्सप्लेन करना चाहे वो प्रोजेक्ट देखनेवाले के बिलकुल समझ  में आ जाये - बिलकुल ही अलग होता है . हो सकता है पहली -दूसरी- तीसरी बार में वो क्लियरिटी नहीं आये जो सामने वाले  के दिमाग में बैठ जाए लेकिन प्रयास जारी रखे और तब तक जारी रखे जब तक जो बात प्रजेंटेशन  में आप चाहते है वो आ न जाये .
  एक-एक सवाल जो आपसे पूछे जा सकते है उनका तर्क सहित क्या उत्तर देना है आपको पता होना चाहिए , ये समझ लीजिये जो भी आप तैयारी करे युद्ध स्तर पर करें जाने इसी पर आपका आर्थिक भविष्य टिका हुआ है . ध्यान रहे विकल्प की सम्भावना आपकी काबिलियत को जंग लगा देती है .सो तैयारी पूरे मन से करे -कृपया आधी- अधूरी तैयारी के साथ मार्किट में जाकर अपनी इमेज ख़राब ना करें .
                          बेहतर है लोन के लिए किसी बैंक में जाए ,ख़ुदा ना खास्ता वो आप का लोन नामंज़ूर कर देते है तो उनसे जानकारी करे आपके प्रोजेक्ट में कमी क्या रह गई , कृपया कमी को समझे और उसे दुरुस्त करे फिर और किसी बैंक में जाए वो भी अगर मना करते है तो उनसे भी कमी पूछे और उसे दूर करें और ये सिलसिला तब तक अपनाते जाए जब तक आप का लोन मंजूर ना हो जाए . जब एक बार बैंक से लोन मंजूर हो जाता है तो व्यक्तिगत संपर्कों से लोन लेना इतना मुश्किल नहीं होता.
 इस दरमियान आप बिलकुल ही एक नई जबान सीखेंगे जो आप को इस क्षेत्र के मास्टर्स सिखाएंगे . ध्यान रहे अमीर आसमान से नहीं टपकता इसी धरती पर आकर बनता है और इसी तरह के प्रोसेस से गुजरता है - जब वो गुजर सकता है तो आप क्यों नहीं ?  
- सुबोध
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Saturday, July 26, 2014

85. सही या गलत -निर्णय आपका !



 कार्य छोटा या बड़ा नहीं होता - कार्य करने वाले का समर्पण ,कार्य का आकार  -प्रकार ,कार्य की विस्तृत रूप-रेखा उसे छोटा या बड़ा बनाती है - एक अकेला जुलाहा वस्त्र बुनता है तो वो जुलाहा है लेकिन ऐसे ही हज़ारों जुलाहे मिल में जाकर वस्त्र बुनते है तो वहां वो कारीगर हो जाते है और मिल  इंडस्ट्री हो जाती है. ये आप पर है कि अपने कार्य में आप अकेले रहना चाहते है या उसे बड़ा बनाना चाहते है .
            अगर आपका दिमाग छोटा होगा तो पैतृक संपत्ति में मिला हुआ बड़ा कार्य भी आप छोटा कर लेंगे कि काम  में बहुत टेंशन है ,एम्प्लोयी को मैनेज करना टेढ़ी खीर है ,जिसको उधार दो पैसा लेकर भाग जाता है , माल बेचते वक्त भी भिखारी है और पेमेंट मंगाते वक्त भी .ऐसे बड़े काम का क्या फायदा वगैरह -वगैरह आपके तर्क होंगे और बने बनाये बड़े नेटवर्क को काट-पीट कर आप  अपने कम्फर्ट जोन में आप आ जायेंगे.
अगर आपका दिमाग बड़ा होगा तो आप एक बड़ा नेटवर्क बनाएंगे . एम्प्लाइज का , कारीगरों का,माल बनाने वाले ,बेचनेवालों का ,खरीदारों का , आढ़तियों का , दलालों का , इंडस्ट्री या व्यवसाय में लगने वाली हर छोटी- बड़ी ज़रुरत की लिस्ट बनाकर उस पर कार्यवाही करेंगे , व्यवसाय को बड़ा बनाने के लिए आप अपने "ईगो " को छोटा करकर हर छोटा -बड़ा काम करेंगे -न भूख़ की परवाह, न प्यास की सुध  ,न समय की चिंता , न भाग-दौड़ का तनाव , न थकान की फ़िक्र ,  यानी आप "आप" न होंगे सिर्फ एक उद्देश्य रह जायेंगे कि किसी भी तरह सोच साकार हो.
कहने का मतलब कार्य कोई भी छोटा या बड़ा नहीं होता वो "आप" है जो उसे छोटा या बड़ा बनाते है .
- सुबोध
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Friday, July 25, 2014

84. सही या गलत -निर्णय आपका !



कार्य कोई भी छोटा या बड़ा नहीं होता ,कार्य करने वाले की मानसिकता छोटी या बड़ी होती है .ध्यान रखे कल की नाई की दूकान आज सैलून हो जाती है ,कल की दरजी की दुकान आज बूटीक शॉप  हो जाती है - ढेरों उदहारण है.
 समाज  की निगाहों में कल का  छोटा काम,ओछा काम आज क्रिएटिव होकर इंडस्ट्री बन गया है .आप प्रत्येक कार्य में श्रेष्टता ही देखें , इस से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस तरह के व्यवसाय में है या आपके जिम्मे किस तरह का कार्य है-समाज उसे ओछी निगाह से देखता है या नहीं इससे भी कोई फर्क नहीं पड़ता ,आपकी ज़िन्दगी में फर्क डालने वाले आप खुद है दूसरा कोई नहीं . अपने काम से प्रेम करे उसे सम्मान दे और अपना श्रेष्ट दे - अमीर यही करते है और वो जानते है कि छोटे से बड़ा बनने के लिए कर्ता को दिल और दिमाग से  छोटा नहीं बड़ा   होना चाहिए .
-सुबोध