अकादमिक एजुकेशन सिस्टम में गलतियों का नतीजा पनिशमेंट होता है और वहां
उन्हें गलतिया न करने का प्रशिक्षण दिया जाता है . जब ये कहा जाता है कि
"गलतियां ही सबसे अच्छी टीचर होती है " ये उन्हें समझ में नहीं आता
लिहाजा अपनी अकादमिक एजुकेशन पूरी करने के बाद भी वो लोग भावनात्मक रूप से जोखिम
लेने के लिए तैयार नहीं होते और नतीजे में वो कोई ठीक-ठाक नौकरी पकड़ लेते है और
अपनी वर्तमान नौकरी को अपनी वित्तीय सुरक्षा का जरिया मानते हुए ज़िन्दगी गुजारने
लगते है ,बिना इस बात को समझे कि नौकरी
वित्त के क्षेत्र में एक दीर्धकालीन समस्या का अल्पकालीन समाधान है .वे लोग अपनी
वर्तमान नौकरी में ही वित्तीय सुरक्षा और वित्तीय स्वतंत्रता देखते,समझते है जबकि
नौकरी,वित्तीय सुरक्षा और वित्तीय स्वतंत्रता तीनो अलग-अलग स्थितियां होती है .
अमीर मानसिकता के लोग इस बात को समझते है इसलिए वे लोग नौकरी की सुरक्षा ( वक्त-वक्त पर अपने c .v. में ऐसा कुछ जोड़ते रहना जिससे उनकी मार्किट में डिमांड बनी रहे ) के साथ ही अन्य कमाई के तरीके से खुद को वित्तीय रूप से सुरक्षित करने की कोशिश करते रहते है.
पोस्ट 59 भी देखें .
अमीर मानसिकता के लोग इस बात को समझते है इसलिए वे लोग नौकरी की सुरक्षा ( वक्त-वक्त पर अपने c .v. में ऐसा कुछ जोड़ते रहना जिससे उनकी मार्किट में डिमांड बनी रहे ) के साथ ही अन्य कमाई के तरीके से खुद को वित्तीय रूप से सुरक्षित करने की कोशिश करते रहते है.
पोस्ट 59 भी देखें .
- सुबोध
( one sim all recharge )
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