कुछ लोग टीम बनाने का अर्थ बिज़नेस, स्पोर्ट्स ,राजनीति जैसे फील्ड से ही लेते है जबकि ज़िन्दगी के हर क्षेत्र में टीम मौजूद होती है - चाहे आप इसे नकारे या स्वीकारे . यहाँ तक कि ये तो आपके घर में भी मौजूद होती है , उदाहरण के तौर पर किसी शादी-शुदा घरेलु महिला की टीम में उसका पति , उसके बच्चे , उसके माँ- बाप ,उसके सास-ससुर , उसकी ननद , उसकी बहन यानि कुल मिलाकर उसके सारे रिश्तेदार , उसकी- सखिया-सहेलियां ,काम करनेवाली नौकरानी , धोबी, प्लम्बर, इलेक्ट्रीशियन, सब्जीवाला भइया , उनके बच्चों का टीचर , कबाड़ वाला यानि घर-गृहस्थी चलाने में सहायक जो भी शख्शियत जिनसे एक बार से अधिक बार व्यवहार करना पड़े उसकी टीम का हिस्सा है . दूसरी - तीसरी बार में उसे समझ में आ जाता है कि ये उसकी टीम का परमानेंट मेंबर हो सकता है या नहीं .
मेरे घर पर पेपर लेने वाला करीबन दस साल से एक ही बंदा आता है जिससे किसी
भी तरह की किट- किट हमें नहीं करनी पड़ती. महीने के पहले वीक में वो अपने
आप आ जाता है और मार्किट में जो भाव चल रहा है उसी हिसाब से वो हमारे घर से
पेपर ले जाता है .जबकि मिसेज कपूर हर बार किसी भी कबाड़ी को बुलाती है और
उन्हें हर बार उनसे रेट को ,तौल को लेकर बहस करनी पड़ती है !
कृपया टीम बनाने को हलके में न लेवे , एक अच्छी टीम बनाने के लिए पूरी मेहनत करें क्योंकि उसके बाद आपकी ज़िन्दगी सुविधाजनक और आसान होती जाएगी - टीम बनाने के चरणों के बारे में मेरी इससे पूर्व की पोस्ट देखें .
सुबोध
www.saralservices.com
( one sim all recharge )
कृपया टीम बनाने को हलके में न लेवे , एक अच्छी टीम बनाने के लिए पूरी मेहनत करें क्योंकि उसके बाद आपकी ज़िन्दगी सुविधाजनक और आसान होती जाएगी - टीम बनाने के चरणों के बारे में मेरी इससे पूर्व की पोस्ट देखें .
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