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Sunday, August 10, 2014

100. सही या गलत -निर्णय आपका !

मेरे एक पाठक का सवाल था
sar ji mene aap ke sabhi artical pare.meri yek samsya ko door kijiye mera medical ka thok ka weyapar he acha chal raha he par mene apne jiwan istar ko warane ke liye karj le liya ab use chukane ka rasta nahi mil raha he agar me apne weyapar se jeyada rupye nahi nikal sakta keya karna chahiye.

मेरा जवाब---
जो क़र्ज़ आपको दिए गए ब्याज से ज्यादा रिटर्न दिलाता है वो क़र्ज़ अच्छा क़र्ज़ होता है और जो क़र्ज़ आपको दिए जानेवाले ब्याज  से कम रिटर्न दिलाता है वो क़र्ज़ बुरा क़र्ज़ होता है .
क़र्ज़ के दम  पर अगर आपने अपने जीवनस्तर को सुधारने का प्रयास किया है तो ये एक अव्यवहारिक कदम है - यह एक बुरा क़र्ज़ है
कभी भी कोई अतिरिक्त खरीददारी या खर्च  करें  उसे अपनी अतिरिक्त कमाई में से करें ,अमीर लोग यही करते है .
 अगर आप बुरे कर्ज के जाल में फंस चुके है तो उसे चुकाने के कुछ तरीके नीचे लिख रहा हूँ
1- पैसे को सही तरीके से मैनेज करें -- उम्मीद है मेरी पुरानी पोस्ट्स को देखते हुए आपने कमाई में से 10% अलग रखना शुरू कर दिया होगा - उसके बाद ही आप अपने बाकी के खर्चे निपटा रहे होंगे . अब निम्न तरीका अपनाये --
अपनी कमाई का -
10 % आप  क़र्ज़  को चुकाने के लिए अलग रखे
10% आप दीर्धकालीन बचत के लिए रखे
10% वित्तीय स्वतंत्रता खाते में रखे
10% मनोरंजन खाते में रखे 
10% शिक्षा, दान वगैरह के लिए
50% आवश्यक खाते में
इसे स्ट्रिक्टली फॉलो करें , जैसे ही पैसे घर में आते है आप अलग- अलग खाते में इन्हे डाल देवे , फिलहाल आप  दीर्धकालीन बचत खाते को क़र्ज़ चुकाने के लिए इस्तेमाल कर सकते है ,जब आपका क़र्ज़ चूक जाए तो क़र्ज़ चुकाने वाले खाते को आवश्यक खाते में ट्रांसफर कर सकते है या इस से आप स्टैण्डर्ड मेन्टेन कर सकते है .    इस बात को दिमाग से निकल देवे की मैंने अपना स्टैण्डर्ड  मेन्टेन करना है . आपकी जिम्मेदारी अपने परिवार के हितों की सुरक्षा करना है समाज  के सामने आप स्टैण्डर्ड वाले होकर भी घर में अगर परिवार को या खुद को तनाव देते है तो ये उचित नहीं है .


2- आप अच्छा क़र्ज़ लेवे और उससे बुरे क़र्ज़ को चूका देवें .

3- अपनी कमाई को बढ़ाएं .जीवन स्तर उधार के पैसे से नहीं खुद की कमाई से सुधरता है, सुधारा जाता है  -अगर साल-दो साल के लिए जीवन स्तर ऊँचा कर लिया है तो ये तो कुकुरमुत्ते वाला स्तर हुआ - स्थाई नहीं - स्थायित्व लाने के लिए आपको अपनी कमाई बढ़ानी पड़ेगी - मेरी पुरानी पोस्ट बराबर पढ़े काम को बड़ा करने का तरीका उसमे दिया हुआ है .

4 - एक-एक चवन्नी की कदर करें- चार चवन्नी मिलकर एक रूपया हो जाती है. बैठ कर ढंग से समझ लेवें कि क्या खर्चे जरूरी है और क्या गैरजरूरी . अमूनन तकलीफ में लोग" पेपर-पिन" बचाओ वाली मानसिकता को फॉलो करना शुरू कर देते है जो कि मेरी निगाह में बिलकुल गलत है- थूक से कान नहीं चिपकते - जहाँ बचाया जा सकता है वहां बचाये . स्टाफ को,परिवार को बेवजह लगातार टोकते रहने से  वे भी तनाव में रहेंगे और आप भी . ध्यान रखे है आप मालिक है ,परिवार के मुखिया है चौकीदार नहीं.

5- स्वयं को वर्तमान स्थिति से पृथक कर-कर सोचे ,बिलकुल शांत मन से स्थिति पर चिंतन करें .आपको स्वयं ज्ञात हो जायेगा कि कहाँ-कहाँ से सुधार हो सकता है .

           आपकी संपूर्ण परिस्थिति मुझे ज्ञात नहीं  है संभवतः परिस्थिति अनुसार अन्य मार्ग हो सकते है , बेहतर है अपने फाइनेंसियल प्लानर के साथ बैठे और उस से पूरी स्थिति पर बात करें .
            अंत में हौसला न खोये , किसी के पास भी कोई जादू की छड़ी नहीं है जो आपको तुरत-फुरत समाधान दे देगा और स्थितियां सुधर जायेगी .हाँ, जिसके पास कुछ करने को है वो आप खुद है ,ये आपका चुनाव होगा कि आप क्या चुनते है - सिर्फ सलाह सुनते है या सलाहों में से अच्छी - बुरी छांटकर अच्छी सलाहों पर अमल भी करते है .
- सुबोध
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