जब आप ये जान लेते है कि सफलता के लिए बाह्य तत्वों से ज्यादा आतंरिक तत्व जिम्मेदार है तब आप ये भी जान लेते है कि सफलता को साधने के लिए, सम्हालने के लिए शरीर की मजबूती से ज्यादा वैचारिक और भावनात्मक मजबूती जरूरी है .
इस बात को समझने के बाद जब लोगों को आप हारते देखे , बदकिस्मती का रोना रोते देखे, धोखेबाज़ पार्टनर या अर्थव्यवस्था की मंदी या नई टेक्नोलॉजी के आविर्भाव में पुरानी का बर्बाद होना सुने तो असली वजह समझ जाए कि समस्या कहीं बाहर नहीं उनके अंदर है .- उनकी जड़ों में है , उस दो लीटर माप के बर्तन में है जिसमे डेंट आ गया है और अब डेंट आने की वजह से उस बर्तन में दो लीटर दूध नहीं आ सकता .
ज्यादतर लोगों के पास ढेर सारा पैसा बनाने के बावजूद उनमे पैसा सम्हालने की क्षमता ही नहीं होती मेरी पोस्ट 4 ,5 और 6 देखें . याद रखे पैसा कभी भी अकेला नहीं आता , हमेशा अपने साथ चुनौती लेकर आता है कि आओ मुझ पर सवारी करो, मुझे साधो ,अगर आप उसको साध पाये, उस पर सवारी कर पाये तो वो आपका पालतू होगा अन्यथा आपके मन को, विचारों को चोट पहुंचा कर आपसे दूर चला जायेगा ,आपके माथे पर असफलता का ठप्पा लगा जायेगा .
तो अमीर बनने के लिए पहली बात मानसिक रूप से खुद को तैयार करें .दूसरी बात पैसे को सम्हालने के लिए खुद को तैयार करें ,पैसे के साथ आने वाली चुनौतियों का सामना करना सीखें यानि कुल मिलाकर अगर आपको तीन लीटर दूध चाहिए तो बर्तन दो लीटर क्षमता वाला नहीं चलेगा .. पहले बर्तन बड़ा करें तब ज्यादा दूध लेवे .
ये पोस्ट 121 का हिस्सा है ,इस पोस्ट को बराबर समझने के लिए पोस्ट 121 भी पढ़ें .
-सुबोध
www.saralservices.com
( one sim all recharge , MLM )
मेरी पुरानी और ताज़ा पोस्ट पढ़ने के लिए कृपया इस लिंक पर जाये
http://saralservices.blogspot.in/
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