संसार के अधिकांश लोग पैसे के मामले में " खुद " को जिम्मेदार मानने की बजाय "भाग्य" को जिम्मेदार मानते है लिहाजा गैर जिम्मेदार लोगों के हिस्से में जो आ सकता है वही उनके हिस्से में आता है . पैसे को वे कंट्रोल नहीं करते बल्कि पैसा उनकी कंडीशनिंग के अनुसार उन्हें कंट्रोल करता है .
वे जीवन को गंभीरता से लेने की बजाय बड़े ही हलके स्तर पर लेते है -साधारण तरीके से सोचते है ,साधारण तरीके के प्रयास करते है और सिर्फ वही देखते है जो उन्हें नज़रों से दिखाई देता है .नज़रों से इतर भी कुछ हो सकता है उन्हें ये समझ में नहीं आता. उन्हें पेड़ दिखाई देता है जड़े नहीं , उन्हें सुन्दर भवन दिखाई देता है, नींव नहीं .वे सिर्फ बाहरी तत्व देखते है उन्हें आतंरिक तत्वों की समझ ही नहीं होती .
और जिन्हे आतंरिक तत्वों की महत्ता ज्ञात होती है ,जो इन्हे विकसित करने पर मेहनत करते है वे उस श्रेणी में आ जाते है जिन्हे लोग अमीर कहते है. आपने कुछ अमीरों को विपरीत परिस्थितियों में बर्बाद होते देखा होगा लेकिन शीघ्र ही वे दुबारा पहले वाली स्थिति में पहुँच जाते है उसकी मुख्य वजह होती है उनकी आतंरिक तत्वों की शक्ति , वे सब कुछ गँवा देते है लेकिन सफलता के मूल तत्व को नहीं गवांते और इसी वजह से वे दुबारा अमीर बनने में सफल हो जाते है .
ये ध्यान रखें बाहरी तत्वों से ज्यादा महत्वपूर्ण आतंरिक तत्व होते है , अगर अमीर बनना है तो अपने आतंरिक तत्वों को विकसित करने पर मेहनत करें.
इस पोस्ट को बराबर समझने के लिए मेरी पोस्ट 120 .121 और 122 पढ़ें
सुबोध
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मेरी पुरानी और ताज़ा पोस्ट पढ़ने के लिए कृपया इस लिंक पर जायें-
http://saralservices.blogspot.in/
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