जब आप ये समझ लेते है कि बाहर वही आता है जो अंदर होता है यानी फल जड़ो के अनुरूप लगते है तो अपने छोटे, खट्टे,बदबूदार फलों को लेकर परेशान न होवें, जो उग चुके है, उन्हें आप नहीं बदल सकते . लेकिन हाँ, अगर आप जमीन की खुदाई करते है खाद -पानी डालते है पेड़ की जड़े मजबूत,स्वस्थ्य कर पाते है तो आगे से पेड़ पर लगने वाले फलों को बदल सकते है उन्हें बड़े,मीठे और महक वाले बना सकते है .
अगर आप अपनी बाहरी दुनिया को बदलना चाहते है आपको पहले अपनी अंदरुनी दुनिया बदलनी होगी , बाहरी दुनिया तो सिर्फ परिणाम है ये तो यह बताती है कि आपके अंदर क्या चल रहा है .मैं आपको वापिस याद दिला दूँ आप जिस दुनिया में रहते है वो कारण और परिणाम पर आधारित है .
आपके साथ जो भी हो रहा हो अच्छा या बुरा , लाभदायक या नुकसान दायक , सकारात्मक या नकारात्मक ये आपके आतंरिक संसार का परिणाम है . इसलिए कभी आपको अपने बाहर के परिणामो से हताशा हो तो कृपया अपने अंदर झांक लेवे .
अमीर लोग बचत को आदत बनाते है इसलिए उन्हें अपनी बाहरी स्थिति का शीघ्र पता चल जाता है ,उस स्थिति में वे अपनी आतंरिक स्थिति में वांछित सुधार कर लेते है जबकि गरीबों के लिए बचत एक उत्सव होता है इसलिए उन्हें अपनी बाहरी स्थिति का पता बहुत बाद में चलता है , पता चलने के बावजूद भी चूँकि उन्हें बाहरी स्थितियों का आतंरिक स्थितियों से सम्बन्ध पता नहीं होता लिहाजा वे भाग्य ,मंदी ,अर्थव्यवस्था जैसी बातों का रोना रोते है , उनकी यही अज्ञानता उन्हें भारी पड़ती है .
- सुबोध
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