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Monday, October 13, 2014

141 . सही या गलत -निर्णय आपका !



बहुत से लोगों के पास बहुत सी बेहतरीन आइडियाज होती है लेकिन वो उनके दिमाग में होती है और वही दफ़्न हो जाती है वो उनकी महान आईडिया इस लायक नहीं बन पाती कि लाखो-करोडो पैदा कर सके ,इसकी मुख्य वजह ये है कि जिनके दिमाग में ये आईडिया आती है वो खुद को बहुत ही साधारण मानते है उस आईडिया पर गंभीरता से विचार और कार्य नहीं करते ,उन्हें खुद को इसकी सफलता पर संदेह रहता है .

उनका अधूरापन उनका दुश्मन बन जाता है ,कोई और उसी आईडिया पर काम करता है और पैसों का ढेर लगा लेता है लेकिन उनकी छोटेपन की कंडीशनिंग उनका पीछा नहीं छोड़ती ,उन्हें लगता है कि ग्रेट आईडिया सिर्फ ग्रेट लोगों के ही दिमाग में आ सकते है हम जैसे साधारण लोग साधारण पैदा होते है ,साधारणता में गुजारा करते है और साधारणता में ही गुजर जाते है .

वे इस बात को नहीं समझ पाते कि विचारों पर किसी का भी एकाधिकार नहीं होता . प्रकृति ने किसी भी व्यक्ति के साथ किसी किस्म का भेद-भाव नहीं किया , सबको बराबर धूप ,बराबर पानी ,बराबर हवा, बराबर खुशबु, बराबर वक्त ,बराबर अँधेरा ,बराबर रोशनी, बराबर निराशा ,बराबर आशा,बराबर एहसास कहने का अर्थ हर चीज़ बराबर -बराबर दी है ,व्यक्ति ने अपने बैरियर्स खुद बनाये है .

एक गरीब को लगता है कि मैं झुग्गी-झोपड़ी में रहता हूँ ,मेरे यहाँ रोशनी कम आती है ,जबकि अमीरों के बंगले में भरपूर रोशनी होती है ये उसकी सोच उसका दायरा बन जाती है और वो इस सोच को अपने दुर्भाग्य से जोड़ लेता है ,अपनी,अपने पेरेंट्स की नाकामी से जोड़ लेता है ;धीरे-धीरे यही सोच बड़ी होती जाती है ,ज़िन्दगी के दूसरे क्षेत्र में भी छाने लगती है और प्रकृति ने जिस" बराबर इंसान" को पैदा किया था वो खुद को छोटा मानने लगता है ,छोटा हो जाता है ! लिहाजा उसके दिमाग में आनेवाली महान आईडिया भी उसको बेवकूफी लगती है .

कुछ लोग झुग्गी-झोपड़ी में रहते है,जहाँ रोशनी कम आती है लेकिन वे कम रोशनी को नहीं देखते ,देखते है कि झुग्गी-झोपड़ी से निकलने के बाद रोशनी का कोई फर्क नहीं रह जाता वे प्रकृति को धन्यवाद देते है और दूसरी नियामतें जो प्रकृति ने उन्हें दी है उन पर ध्यान केंद्रित करते है और उन नियामतों की ताकत के बल पर कुछ ऐसा कर गुजरते है जो दूसरों के लिए प्रेरणा बन जाता है ,वे किसी भी तरह के बैरियर्स से खुद को आज़ाद रखते है !
ध्यान रखे हारने वाले के लिए बहाने बहुत होते है और जीतने वाले के लिए रास्ते बहुत होते है !!!
सुबोध
www.saralservices.com
 ( one sim all recharge , MLM )
Photo: 141 . सही या गलत -निर्णय आपका !बहुत से लोगों के पास बहुत सी बेहतरीन आइडियाज होती है लेकिन वो उनके दिमाग में होती है और वही दफ़्न हो जाती है वो उनकी महान आईडिया इस लायक नहीं बन पाती  कि लाखो-करोडो पैदा कर सके ,इसकी मुख्य वजह ये है कि जिनके दिमाग में ये आईडिया आती है वो खुद को बहुत ही साधारण मानते है उस आईडिया पर गंभीरता से विचार और कार्य नहीं करते ,उन्हें खुद को इसकी सफलता पर संदेह रहता है .  उनका  अधूरापन उनका  दुश्मन बन जाता है ,कोई और उसी आईडिया पर काम करता है और पैसों का ढेर लगा लेता है लेकिन उनकी छोटेपन की कंडीशनिंग उनका पीछा नहीं छोड़ती ,उन्हें लगता है कि ग्रेट आईडिया सिर्फ ग्रेट लोगों के ही दिमाग में आ सकते है हम जैसे साधारण लोग साधारण पैदा होते है ,साधारणता में गुजारा करते है और साधारणता में ही  गुजर जाते है .वे इस बात को नहीं समझ पाते कि विचारों पर किसी का भी एकाधिकार नहीं होता . प्रकृति ने किसी भी व्यक्ति के साथ किसी किस्म का भेद-भाव नहीं किया , सबको बराबर धूप ,बराबर पानी ,बराबर हवा, बराबर खुशबु, बराबर वक्त ,बराबर अँधेरा ,बराबर रोशनी, बराबर निराशा ,बराबर आशा,बराबर एहसास कहने का अर्थ हर चीज़ बराबर -बराबर दी है ,व्यक्ति ने अपने बैरियर्स खुद बनाये है . एक गरीब को लगता है कि मैं झुग्गी-झोपड़ी  में रहता हूँ ,मेरे यहाँ रोशनी कम आती है ,जबकि अमीरों के बंगले में भरपूर रोशनी होती है ये उसकी सोच उसका  दायरा बन जाती है और वो इस सोच को अपने दुर्भाग्य से जोड़ लेता है ,अपनी,अपने पेरेंट्स की नाकामी से जोड़ लेता है ;धीरे-धीरे यही सोच बड़ी होती जाती है ,ज़िन्दगी के दूसरे क्षेत्र में भी छाने लगती है और प्रकृति ने जिस" बराबर इंसान" को पैदा किया था वो खुद  को छोटा मानने लगता है ,छोटा हो जाता है ! लिहाजा उसके दिमाग में आनेवाली महान आईडिया भी उसको बेवकूफी लगती है . कुछ लोग झुग्गी-झोपड़ी में रहते है,जहाँ रोशनी कम आती है लेकिन वे कम रोशनी को नहीं देखते ,देखते है कि झुग्गी-झोपड़ी से निकलने के बाद रोशनी का कोई फर्क नहीं रह जाता वे प्रकृति को धन्यवाद देते है  और दूसरी नियामतें जो प्रकृति ने उन्हें दी है उन पर ध्यान केंद्रित करते है और उन नियामतों की ताकत के बल पर कुछ ऐसा कर गुजरते है जो दूसरों के लिए प्रेरणा बन जाता है ,वे किसी भी तरह के बैरियर्स से खुद को आज़ाद रखते है !ध्यान रखे हारने वाले के लिए बहाने बहुत होते है और जीतने वाले के लिए  रास्ते बहुत होते है !!!सुबोध  www.saralservices.com

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