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Friday, October 10, 2014

140 . सही या गलत -निर्णय आपका !

           बड़ी अजीब सी सोच होती है लोगों की , उन्हें सफलता चाहिए होती है लेकिन उन्हें सफलता का शॉर्टकट चाहिए .अब उन्हें कौन समझाये और कैसे समझाये कि  कुछ चीज़ों का शॉर्टकट नहीं होता उन चीज़ों को अगर आप  शॉर्टकट से पा भी लेंगे  तो वे लम्बे वक्त तक टिकेगी नहीं . जैसे वो शॉर्टकट से आई है उसी तरह वो चली भी जाएगी ,बिना नींव के पहली बात छोटे-मोटे टेंट टाइप के मकान बन सकते है एक बड़ी और शानदार बिल्डिंग के लिए तो आपको नींव की ज़रुरत होगी .और दूसरी बात ज़िन्दगी का तूफ़ान ,एक विपरीत परिस्थिति आपकी टेंट टाइप की हैसियत को सुखहाली से  बदहाली में बदल देगी इसलिए आप एक नींव बनाये और नींव तो नींव होती है फिर वो चाहे मकान की हो ,आपकी शिक्षा की हो,आपकी अमीरी की हो  या फिर आपकी किसी अन्य सफलता की हो .
       अगर आपने अपनी नींव को मज़बूत बनाया है तो पहली बात आप सेफ है और दूसरी बात अगर किसी  हादसे के कारण आप बर्बाद भी हो जाते है तो आप दुबारा खड़े हो पाएंगे -फीनिक्स की तरह . क्योंकि नींव बनाने के दरम्यान आपने सीखा होता है कि रुकावटों से पार कैसे पाया जाता है जबकि शॉर्टकट में तो आप ज़िन्दगी की ऊंच-नीच से वाकिफ ही नहीं हो पाते .आपने सिर्फ पहाड़ की चोटी देखी है ,चढ़ाई के दौरान आनेवाली दिक्कतों को न देखा है ,न समझा है ,न महसूस किया है और न ही जीया है तो अगर चोटी से जिस दिन आप  लुढक गए उस दिन आपका  क्या होगा ? हर बार तो ज़िन्दगी शॉर्टकट से आपको  चोटी पर नहीं पहुंचा सकती है - हर दिन सट्टेबाज़ों का नहीं होता,जुआरियों का नहीं होता ,लाटरी जीतने वालों  का नहीं होता .
        अगर आपको अपनी सफलता को स्थायित्व देना है तो आपको उस लम्बे प्रोसेस से गुजरना ही होगा जहाँ आप चीज़ों को बनाना सीखते है (बना कर पाई हुई चीज़ आपको ज्यादा संतुष्टि देती है-- आपको अपनी पहली ख़रीदी गई फ्रीज़ की, गाड़ी की मनस्थिति आज भी याद होगी ! ) सम्हालना सीखते है ,बढ़ाना सीखते है . अगर आपने तुक्के में कोई  सफलता पाई है तो पहली बात आप उस सफलता को पचा नहीं पाएंगे आपको उल्टी ( vomiting  ) हो जाएगी और खुदा न खास्ता आपने उसे पचा लिया तो दूसरी बात आप उसे बढ़ा नहीं पाएंगे क्योंकि बढ़ाने में जो काबिलियत चाहिए वो काबिलियत तो आपमें है ही नहीं .तो बेहतर है रास्ता वो चुनिए जिसमे स्थायित्व हो बेशक वो चाहे लम्बा ही क्यों न हो क्योंकि उस रास्ते में हो सकता आप परेशान हो जाए,आपको जगह-जगह चोट लगे, आप चलते-चलते थक जाये,प्यास से आपका गला सूखे,भूख से आतें कुलबुलाये ,आपकी सांस फूल जाये ,हज़ार मुसीबतें आपको मिले लेकिन उस रास्ते से गुजरने के बाद आप जो पाएंगे वो स्थायी होगा और रास्ते के बीच झेली हुई मुसीबतें आपको ताकत,होंसला और सकारात्मक सोच देगी जिसका कोई भी जोड़ नहीं होता,जो खुद में अनमोल है !
- सुबोध

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